अभी वीडियो देखें दरबार : फिल्म समीक्षा | Darbar Movie Review in Hindi | Rajinikanth
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#Darbar #Rajinikanth #MovieReviewInHindi
मेगास्टार बन कर रजनीकांत एक खास छवि में भी कैद हो गए हैं और समय-समय पर अपने फैंस को खुश करने के लिए उन्हें उन्हीं अदाओं को दोहराना पड़ता है जिसे देख सिनेमा हॉल में सीटियां और तालियां बजती हैं।
उनकी ताजा फिल्म ‘दरबार’ प्रशंसकों के लिए बनाई गई है जिसमें सनग्लास से खेलते, स्लो मोशन में वॉक करते और स्टाइलिश फाइट से गुंडों को धूल चटाते रजनीकांत नजर आते हैं।
फिल्म का निर्देशन एआर मुरुगदास ने किया है जिन्हें हिंदी भाषी दर्शक गजनी, अकीरा और हॉलिडे जैसी फिल्मों के लिए जानते हैं। मुरुगदास की खासियत है कि कमर्शियल फिल्म बनाते हुए भी वे कुछ अलग करने का प्रयास करते हैं। लेकिन दरबार में मुरुगदास की यह खासियत दब सी गई है।
रजनीकांत की छवि और आभामंडल से निर्देशक और लेखक इतने प्रभावित हो जाते हैं और वे रजनी के उसी रूप को दोहरा देते हैं और मुरुगदास ने भी यही किया है। वे भी रजनीमय हो गए हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने ऐसी फिल्म बनाई है जो दर्शकों को बांध कर रखती है।
आदित्य अरुणाचलम (रजनीकांत) मुंबई का कमिश्नर है। वर्षों पहले एक अपराधी हरि चोपड़ा (सुनील शेट्टी) ने ऐसा काम किया था जिससे पुलिस की इज्जत घट गई थी। उसकी तलाश आदित्य को है।
इसी बीच आदित्य एक दूसरे केस में उलझ जाता है। उसके साथ एक हादसा भी होता है। आदित्य को समझ नहीं आता कि कौन ये सब कर रहा है? इस गुत्थी को वह कैसे सुलझाता है? क्या हरि तक वह पहुंच पाता है या नहीं? इन सवालों के जवाब फिल्म में मिलते हैं।
लिखने का डिपार्टमेंट भी मुरुगदास ने ही संभाला है। उनकी कहानी में कोई नई बात नजर नहीं आती। हालांकि उन्होंने टर्न और ट्विस्ट अच्छे डाले हैं जिस वजह से फिल्म में रूचि बनी रहती है। कहानी लिखते समय उन्होंने इस बात का ध्यान रखा कि एक्शन सीन इसमें समय-समय पर आते रहे।
साथ ही उन्होंने आदित्य और लिली (नयनतारा) की प्रेम कहानी को दर्शाया है। बदमाशों के सामने शेर की तरह दहाड़ने वाले आदित्य, लिली के सामने कैसे भीगी बिल्ली बन जाता है ये फिल्म का मनोरंजक पहलू है। इमोशन्स भी फिल्म में डाले गए हैं।
कहानी में कई ऐसी बातें हैं जिन पर सवाल किए जा सकते हैं, लेकिन मुरुगदास ने इन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। रजनीकांत के नाम पर उन्होंने यह छूट ले ली और जब स्क्रीन पर रजनीकांत हो तो उनके प्रशंसक इन बातों पर गौर भी नहीं करते हैं।
यदि वे कहानी में कुछ नवीनता लाते तो यह फिल्म और भी बेहतर होती। कहानी के मामले में वे मार खा गए और जो दर्शक इस बात की आशा लगाए फिल्म देखते हैं कि मुरुगदास इस बार भी कुछ नया और अनोखा पेश करेंगे वे थोड़े मायूस हो सकते हैं।
रेटिंग : 2.5/5
“दरबार : फिल्म समीक्षा | Darbar Movie Review in Hindi | Rajinikanth“, स्रोत से लिया गया: https://www.youtube.com/watch?v=dccdoALFRos
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मेगास्टार बन कर रजनीकांत एक खास छवि में भी कैद हो गए हैं और समय-समय पर अपने फैंस को खुश करने के लिए उन्हें उन्हीं अदाओं को दोहराना पड़ता है जिसे देख सिनेमा हॉल में सीटियां और तालियां बजती हैं।
उनकी ताजा फिल्म ‘दरबार’ प्रशंसकों के लिए बनाई गई है जिसमें सनग्लास से खेलते, स्लो मोशन में वॉक करते और स्टाइलिश फाइट से गुंडों को धूल चटाते रजनीकांत नजर आते हैं।
फिल्म का निर्देशन एआर मुरुगदास ने किया है जिन्हें हिंदी भाषी दर्शक गजनी, अकीरा और हॉलिडे जैसी फिल्मों के लिए जानते हैं। मुरुगदास की खासियत है कि कमर्शियल फिल्म बनाते हुए भी वे कुछ अलग करने का प्रयास करते हैं। लेकिन दरबार में मुरुगदास की यह खासियत दब सी गई है।
रजनीकांत की छवि और आभामंडल से निर्देशक और लेखक इतने प्रभावित हो जाते हैं और वे रजनी के उसी रूप को दोहरा देते हैं और मुरुगदास ने भी यही किया है। वे भी रजनीमय हो गए हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने ऐसी फिल्म बनाई है जो दर्शकों को बांध कर रखती है।
आदित्य अरुणाचलम (रजनीकांत) मुंबई का कमिश्नर है। वर्षों पहले एक अपराधी हरि चोपड़ा (सुनील शेट्टी) ने ऐसा काम किया था जिससे पुलिस की इज्जत घट गई थी। उसकी तलाश आदित्य को है।
इसी बीच आदित्य एक दूसरे केस में उलझ जाता है। उसके साथ एक हादसा भी होता है। आदित्य को समझ नहीं आता कि कौन ये सब कर रहा है? इस गुत्थी को वह कैसे सुलझाता है? क्या हरि तक वह पहुंच पाता है या नहीं? इन सवालों के जवाब फिल्म में मिलते हैं।
लिखने का डिपार्टमेंट भी मुरुगदास ने ही संभाला है। उनकी कहानी में कोई नई बात नजर नहीं आती। हालांकि उन्होंने टर्न और ट्विस्ट अच्छे डाले हैं जिस वजह से फिल्म में रूचि बनी रहती है। कहानी लिखते समय उन्होंने इस बात का ध्यान रखा कि एक्शन सीन इसमें समय-समय पर आते रहे।
साथ ही उन्होंने आदित्य और लिली (नयनतारा) की प्रेम कहानी को दर्शाया है। बदमाशों के सामने शेर की तरह दहाड़ने वाले आदित्य, लिली के सामने कैसे भीगी बिल्ली बन जाता है ये फिल्म का मनोरंजक पहलू है। इमोशन्स भी फिल्म में डाले गए हैं।
कहानी में कई ऐसी बातें हैं जिन पर सवाल किए जा सकते हैं, लेकिन मुरुगदास ने इन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। रजनीकांत के नाम पर उन्होंने यह छूट ले ली और जब स्क्रीन पर रजनीकांत हो तो उनके प्रशंसक इन बातों पर गौर भी नहीं करते हैं।
यदि वे कहानी में कुछ नवीनता लाते तो यह फिल्म और भी बेहतर होती। कहानी के मामले में वे मार खा गए और जो दर्शक इस बात की आशा लगाए फिल्म देखते हैं कि मुरुगदास इस बार भी कुछ नया और अनोखा पेश करेंगे वे थोड़े मायूस हो सकते हैं।
रेटिंग : 2.5/5
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