स्ट्रीट डांसर 3डी : फिल्म समीक्षा | Street Dancer 3D Review in Hindi | Varun Dhawan

अभी वीडियो देखें स्ट्रीट डांसर 3डी : फिल्म समीक्षा | Street Dancer 3D Review in Hindi | Varun Dhawan

<केंद्र>[केंद्र>

#StreetDancer3D #VarunDhawan #MovieReviewInHindi

एबीसीडी सीरिज की दो सफल फिल्म बनाने के बाद निर्देशक रेमो डिसूजा ओवर एंबिशियस हो गए और उन्होंने देसी सुपरहीरो का कैरेक्टर लेकर ‘फ्लाइंग जट्ट’ नामक हादसा रचा। शिखर सितारा सलमान खान को लेकर भी वे ‘रेस 3’ को सफल नहीं बना पाए जो कि ईद पर रिलीज हुई और ऐसे समय रिलीज फिल्म की सफलता के अवसर बढ़ जाते हैं।

इन दो असफलताओं के बाद रेमो ने ‘बैक टू बेसिक्स’ के सिद्धांत पर अमल किया और उसी विषय को चुना जिस पर उन्होंने शुरुआती दो फिल्में बनाई थीं।

स्ट्रीट डांसर 3डी भी ऐसी फिल्म है जिसकी कहानी डांस के इर्दगिर्द घूमती है, लेकिन ये रेमो की एक और कमजोर फिल्म है। यानी रेमो वो काम भी ठीक से नहीं कर पाए जिसमें वे पारंगत हैं।

कहानी को इस बार इंग्लैंड ले जाया गया है। सहज (वरुण धवन) स्ट्रीट डांसर्स नामक एक डांस ग्रुप का हिस्सा है। सहज ग्राउंड ज़ीरो नामक डांस कॉम्पिटिशन जीत कर अपने भाई इंदर (पुनीत पाठक) का सपना पूरा करना चाहता है।

स्ट्रीट डांसर्स के आए दिन रूल ब्रेकर्स नामक डांस ग्रुप से झगड़े होते रहते हैं जिसकी लीडर इनायत (श्रद्धा कपूर) है। इस ग्रुप में सभी पाकिस्तान मूल के हैं।

झगड़े क्यों होते रहते हैं? इस पर खास फोकस नहीं किया गया है। बस होते रहते हैं और यह मान लेना चाहिए। ये लोग अन्ना (प्रभुदेवा) के रेस्तरां में भारत-पाकिस्तान के क्रिकेट मैच देखते हैं और लड़ते रहते हैं।

अन्ना का मानना है कि यदि ये दोनों ग्रुप्स मिल जाए तो वे ग्राउंड ज़ीरो जीत सकते हैं। वो ऐसा क्यों सोचता है, यह भी नहीं बताया गया है। बस आपको मान लेना है।

ग्राउंड ज़ीरो कॉम्पिटिशन शुरू होती है। रूल ब्रेकर्स हिस्सा लेता है। सहज अंग्रेजों के ग्रुप में मिल जाता है और उनकी तरफ से हिस्सा लेता है।

रूल ब्रेकर्स जीतते हुए फाइनल में पहुंच जाती है। वो कैसे जीत रही है? यह पता नहीं चलता। बस फिल्म में दिखाया जा रहा है तो आपको मान लेना है कि वो जीत रही है। भले ही सामने वाला ग्रुप उससे बेहतर डांस कर रहा है।

फाइनल में रूल ब्रेकर्स हारने लगती है तो अचानक सहज की ‘आंख’ खुल जाती है, उसे ‘ज्ञान’ होता है कि उसे तो रूल ब्रेकर्स वालों से मिल जाना चाहिए। वह बीच में कूद पड़ता है और डांस करने लगता है।

ग्राउंड ज़ीरो कॉम्पिटिशन को लेकर फिल्म में बड़ी-बड़ी बातें की गई हैं तो क्या वहां कोई ऐसा नियम नहीं है कि कोई डांसर दो ग्रुप्स से हिस्सा नहीं ले सकता है? ऐसा नियम तो गली-मोहल्लों में चलने वाले कॉम्पिटिशन में भी होता है।

बहरहाल, कहानी लिखने वाले रेमो डिसूजा को लगा कि केवल डांस से काम नहीं चलेगा। थोड़ा इमोशन डाला जाए। थोड़ा ‘मैसेज’ डाला जाए तो कहने को भी रहेगा कि हमारी फिल्म ‘मैसेज’ भी देती है।

उन्होंने इंग्लैंड में अप्रवासियों की दुर्दशा दिखाई है और रूल ब्रेकर्स यह तय करता है कि यदि वे ग्राउंड ज़ीरो कॉम्पिटिशन जीतेंगे तो प्राइज़ मनी का उपयोग इन लोगों को अपने देश वापस लौटने के लिए देंगे।

यह वाला ट्रेक वैसा ही है जैसा कि कुछ लोग चैरिटी इसीलिए करते हैं ताकि फोटो खिंचवा कर सोशल मीडिया पर लगा सकें।

वरुण धवन का अभिनय औसत है। स्क्रिप्ट उनके किरदार को उभार नहीं पाई और न ही वरुण अपने अभिनय के बूते पर स्क्रिप्ट से ऊपर उठ कर नजर आए। यही हाल श्रद्धा कपूर का रहा है। दोनों के किरदार ऐसे लिखे गए हैं कि ‘हीरो/ हीरोइन’ वाल बात ही महसूस नहीं होती।

प्रभुदेवा का किरदार नहीं भी होता तो कोई फर्क नहीं पड़ता। केवल ‘स्टार वैल्यू’ बढ़ाने के लिए उनको रखा गया है। नोरा फतेही ने साबित किया कि वे फिल्म में सबसे अच्छी डांसर हैं। अपारशक्ति खुराना सहित बाकी कलाकारों का अभिनय औसत है।

केवल बूबू, पॉडी, सुशी, डी जैसे नाम रखने और ‘ब्रो’ ‘हाय’ ‘गाइज़’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल से ही फिल्म कूल नहीं हो जाती, बिना ठोस कहानी के ये बातें खोखली लगती हैं।

केवल डांस के लिए भी यह फिल्म देखने लायक नहीं है क्योंकि इससे बेहतर डांस ‘डांस रियलिटी शो’ और ‘यू ट्यूब’ पर देखने को मिलते हैं।

स्ट्रीट डांसर 3डी : फिल्म समीक्षा | Street Dancer 3D Review in Hindi | Varun Dhawan“, स्रोत से लिया गया: https://www.youtube.com/watch?v=jOOOaesxEeg

स्ट्रीट डांसर 3डी : फिल्म समीक्षा | Street Dancer 3D Review in Hindi | Varun Dhawan के टैग: [title_words_as_hastags]

स्ट्रीट डांसर 3डी : फिल्म समीक्षा | Street Dancer 3D Review in Hindi | Varun Dhawan लेख में निम्नलिखित सामग्री है: #StreetDancer3D #VarunDhawan #MovieReviewInHindi

एबीसीडी सीरिज की दो सफल फिल्म बनाने के बाद निर्देशक रेमो डिसूजा ओवर एंबिशियस हो गए और उन्होंने देसी सुपरहीरो का कैरेक्टर लेकर ‘फ्लाइंग जट्ट’ नामक हादसा रचा। शिखर सितारा सलमान खान को लेकर भी वे ‘रेस 3’ को सफल नहीं बना पाए जो कि ईद पर रिलीज हुई और ऐसे समय रिलीज फिल्म की सफलता के अवसर बढ़ जाते हैं।

इन दो असफलताओं के बाद रेमो ने ‘बैक टू बेसिक्स’ के सिद्धांत पर अमल किया और उसी विषय को चुना जिस पर उन्होंने शुरुआती दो फिल्में बनाई थीं।

स्ट्रीट डांसर 3डी भी ऐसी फिल्म है जिसकी कहानी डांस के इर्दगिर्द घूमती है, लेकिन ये रेमो की एक और कमजोर फिल्म है। यानी रेमो वो काम भी ठीक से नहीं कर पाए जिसमें वे पारंगत हैं।

कहानी को इस बार इंग्लैंड ले जाया गया है। सहज (वरुण धवन) स्ट्रीट डांसर्स नामक एक डांस ग्रुप का हिस्सा है। सहज ग्राउंड ज़ीरो नामक डांस कॉम्पिटिशन जीत कर अपने भाई इंदर (पुनीत पाठक) का सपना पूरा करना चाहता है।

स्ट्रीट डांसर्स के आए दिन रूल ब्रेकर्स नामक डांस ग्रुप से झगड़े होते रहते हैं जिसकी लीडर इनायत (श्रद्धा कपूर) है। इस ग्रुप में सभी पाकिस्तान मूल के हैं।

झगड़े क्यों होते रहते हैं? इस पर खास फोकस नहीं किया गया है। बस होते रहते हैं और यह मान लेना चाहिए। ये लोग अन्ना (प्रभुदेवा) के रेस्तरां में भारत-पाकिस्तान के क्रिकेट मैच देखते हैं और लड़ते रहते हैं।

अन्ना का मानना है कि यदि ये दोनों ग्रुप्स मिल जाए तो वे ग्राउंड ज़ीरो जीत सकते हैं। वो ऐसा क्यों सोचता है, यह भी नहीं बताया गया है। बस आपको मान लेना है।

ग्राउंड ज़ीरो कॉम्पिटिशन शुरू होती है। रूल ब्रेकर्स हिस्सा लेता है। सहज अंग्रेजों के ग्रुप में मिल जाता है और उनकी तरफ से हिस्सा लेता है।

रूल ब्रेकर्स जीतते हुए फाइनल में पहुंच जाती है। वो कैसे जीत रही है? यह पता नहीं चलता। बस फिल्म में दिखाया जा रहा है तो आपको मान लेना है कि वो जीत रही है। भले ही सामने वाला ग्रुप उससे बेहतर डांस कर रहा है।

फाइनल में रूल ब्रेकर्स हारने लगती है तो अचानक सहज की ‘आंख’ खुल जाती है, उसे ‘ज्ञान’ होता है कि उसे तो रूल ब्रेकर्स वालों से मिल जाना चाहिए। वह बीच में कूद पड़ता है और डांस करने लगता है।

ग्राउंड ज़ीरो कॉम्पिटिशन को लेकर फिल्म में बड़ी-बड़ी बातें की गई हैं तो क्या वहां कोई ऐसा नियम नहीं है कि कोई डांसर दो ग्रुप्स से हिस्सा नहीं ले सकता है? ऐसा नियम तो गली-मोहल्लों में चलने वाले कॉम्पिटिशन में भी होता है।

बहरहाल, कहानी लिखने वाले रेमो डिसूजा को लगा कि केवल डांस से काम नहीं चलेगा। थोड़ा इमोशन डाला जाए। थोड़ा ‘मैसेज’ डाला जाए तो कहने को भी रहेगा कि हमारी फिल्म ‘मैसेज’ भी देती है।

उन्होंने इंग्लैंड में अप्रवासियों की दुर्दशा दिखाई है और रूल ब्रेकर्स यह तय करता है कि यदि वे ग्राउंड ज़ीरो कॉम्पिटिशन जीतेंगे तो प्राइज़ मनी का उपयोग इन लोगों को अपने देश वापस लौटने के लिए देंगे।

यह वाला ट्रेक वैसा ही है जैसा कि कुछ लोग चैरिटी इसीलिए करते हैं ताकि फोटो खिंचवा कर सोशल मीडिया पर लगा सकें।

वरुण धवन का अभिनय औसत है। स्क्रिप्ट उनके किरदार को उभार नहीं पाई और न ही वरुण अपने अभिनय के बूते पर स्क्रिप्ट से ऊपर उठ कर नजर आए। यही हाल श्रद्धा कपूर का रहा है। दोनों के किरदार ऐसे लिखे गए हैं कि ‘हीरो/ हीरोइन’ वाल बात ही महसूस नहीं होती।

प्रभुदेवा का किरदार नहीं भी होता तो कोई फर्क नहीं पड़ता। केवल ‘स्टार वैल्यू’ बढ़ाने के लिए उनको रखा गया है। नोरा फतेही ने साबित किया कि वे फिल्म में सबसे अच्छी डांसर हैं। अपारशक्ति खुराना सहित बाकी कलाकारों का अभिनय औसत है।

केवल बूबू, पॉडी, सुशी, डी जैसे नाम रखने और ‘ब्रो’ ‘हाय’ ‘गाइज़’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल से ही फिल्म कूल नहीं हो जाती, बिना ठोस कहानी के ये बातें खोखली लगती हैं।

केवल डांस के लिए भी यह फिल्म देखने लायक नहीं है क्योंकि इससे बेहतर डांस ‘डांस रियलिटी शो’ और ‘यू ट्यूब’ पर देखने को मिलते हैं।

स्ट्रीट डांसर 3डी : फिल्म समीक्षा | Street Dancer 3D Review in Hindi | Varun Dhawan से कीवर्ड: [कीवर्ड]

स्ट्रीट डांसर 3डी : फिल्म समीक्षा | Street Dancer 3D Review in Hindi | Varun Dhawan के बारे में अधिक जानकारी:
इस वीडियो को वर्तमान में 15174 बार देखा गया है, वीडियो निर्माण तिथि 2020-01-24 18:44:16 है, यदि आप इस वीडियो को डाउनलोड करना चाहते हैं, तो आप निम्न लिंक तक पहुंच सकते हैं: https://www.youtubepp.com/watch?v=jOOOaesxEeg, टैग: [title_words_as_hastaggs]

वीडियो देखने के लिए धन्यवाद: स्ट्रीट डांसर 3डी : फिल्म समीक्षा | Street Dancer 3D Review in Hindi | Varun Dhawan.